शिक्षामित्र समायोजन मामला ; शिक्षमित्रों की नियुक्ति निरस्त होने के बाद बिगड़ी विद्यालयों की दशा
प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त होने के बाद विद्यालयों में पढ़ाई-लिखाई की स्थिति बिगड़ी है। पिछले 15 वर्षों से प्राथमिक शिक्षा की आवश्यकता बन गए शिक्षामित्रों के हटने से अब स्कूलों में तालाबंदी की स्थिति है।
राज्य सरकार की ओर से एनसीटीई की अनदेखी करके नियमों में संशोधन का खामियाजा शिक्षामित्रों एवं स्कूल के बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। प्रदेश के हर विकास खंड में औसतन 20 विद्यालय ऐसे हैं जहां मात्र शिक्षामित्र ही तैनात हैं, ऐसे में हर जिले में औसत 100 विद्यालयों में पूरी तरह से तालाबंदी हो गई है।
इन आंकड़ों को देखा जाए तो प्रदेश भर में सात से आठ हजार विद्यालयों में तालाबंद हो गया है। ऐसे में पढ़ाई ठप होने से अभिभावक और बच्चे परेशान हैं।
प्रदेश के परिषदीय विद्यालय पहले से ही 3.74 लाख शिक्षकों की कमी झेल रहे हैं। शिक्षामित्रों के समायोजन के बाद यह आंकड़ा डेढ़ लाख के करीब आ जाता।
Kewards;teachers,TET,shikshamitra,samayojan
राज्य सरकार की ओर से एनसीटीई की अनदेखी करके नियमों में संशोधन का खामियाजा शिक्षामित्रों एवं स्कूल के बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। प्रदेश के हर विकास खंड में औसतन 20 विद्यालय ऐसे हैं जहां मात्र शिक्षामित्र ही तैनात हैं, ऐसे में हर जिले में औसत 100 विद्यालयों में पूरी तरह से तालाबंदी हो गई है।
इन आंकड़ों को देखा जाए तो प्रदेश भर में सात से आठ हजार विद्यालयों में तालाबंद हो गया है। ऐसे में पढ़ाई ठप होने से अभिभावक और बच्चे परेशान हैं।
प्रदेश के परिषदीय विद्यालय पहले से ही 3.74 लाख शिक्षकों की कमी झेल रहे हैं। शिक्षामित्रों के समायोजन के बाद यह आंकड़ा डेढ़ लाख के करीब आ जाता।
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