भर्तियों में परीक्षा से लेकर साक्षात्कार तक में मनमानी ; अब पूर्व में चयनितों को भी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है
हाईकोर्ट ने अनिल यादव को उत्तर प्रदेश लोक आयोग के अध्यक्ष पद से हटा दिया है। अब सीबीआई जांच हुई तो अनिल और आयोग के कई अन्य अफसरों के अलावा पूर्व में चयनितों को भी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है।
अभ्यर्थियों के आरोप सही हैं तो भर्तियों में प्रारंभिक परीक्षा से लेकर साक्षात्कार तक में मनमानी हुई है। यहां तक कि परीक्षक के पैनल में जिनके नाम हैं उन्होंने कॉपियों का मूल्यांकन ही नहीं किया।
इसके अलावा कई भर्तियों में अभ्यर्थियों के ओएमआर शीट (उत्तर पुस्तिका) खाली छोड़ने का भी आरोप है जिन्हें बाद में भरा गया। इस बाबत आरटीआई के तहत जानकारी मांगे जाने की तैयारी है।
पीसीएस-2011 की ही बात की जाए तो मुख्य परीक्षा के मूल्यांकन में स्केलिंग का मनमानी तरीके से इस्तेमाल हुआ।
इस परीक्षा के एक ही पेपर में स्केलिंग के बाद जाति विशेष के लोगों के 60 से भी अधिक नंबर बढ़ गए। इसके विपरीत उसी पेपर में दूसरों के नंबर घट गए।
इतना ही नहीं जाति विशेष के अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में 135 से 141 तक अंक दिए गए जबकि ज्यादातर अभ्यर्थियों को 121 तक अंक मिले। प्रतियोगियों ने ये डिटेल हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में भी लगाए हैं। उन्होंने सीधी भर्ती के 23 भर्तियों का डिटेल जुटाया है।
इसमें ओबीसी के लिए निर्धारित सीट से डेढ़ गुना से भी अधिक पद पर जाति विशेष के अभ्यर्थियों का चयन हुआ है।
प्रतियोगियों का दावा है कि उन्होंने 2008 में चयनित जाति विशेष के अभ्यर्थियों की मार्कशीट शासन से हासिल की है। इनमें 72 अभ्यर्थियों को इंटरव्यू में 50 में से 34 और 35 अंक मिले हैं।
इन विवरणों को भी साक्ष्य के रूप में इस्तेमाल किया गया है।
इनके अलावा प्रतियोगियों का आरोप है कि समीक्षा अधिकारी, राजस्व निरीक्षक की प्रारंभिक परीक्षा में कई अभ्यर्थियों ने ओएमआर शीट खाली छोड़ दिया था जिन्हें बाद में भरा गया। जांच पर पता चलेगा कि सभी ओएमआर शीट एक ही पेन से भरे गए हैं।
प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अवनीश का आरोप है कि कई ऐसे शिक्षक हैं जिन्होंने कॉपियों का मूल्यांकन नहीं किया लेकिन पैनल में उनके नाम हैं। अवनीश का आरोप है कि इस बाबत आरटीआई के तहत जवाब मांगा जाएगा और साक्ष्य के रूप में इसे भी हाईकोर्ट के समक्ष रखा जाएगा।
Kewards ; Exam,upsc,recruitment,rti
अभ्यर्थियों के आरोप सही हैं तो भर्तियों में प्रारंभिक परीक्षा से लेकर साक्षात्कार तक में मनमानी हुई है। यहां तक कि परीक्षक के पैनल में जिनके नाम हैं उन्होंने कॉपियों का मूल्यांकन ही नहीं किया।
इसके अलावा कई भर्तियों में अभ्यर्थियों के ओएमआर शीट (उत्तर पुस्तिका) खाली छोड़ने का भी आरोप है जिन्हें बाद में भरा गया। इस बाबत आरटीआई के तहत जानकारी मांगे जाने की तैयारी है।
पीसीएस-2011 की ही बात की जाए तो मुख्य परीक्षा के मूल्यांकन में स्केलिंग का मनमानी तरीके से इस्तेमाल हुआ।
इस परीक्षा के एक ही पेपर में स्केलिंग के बाद जाति विशेष के लोगों के 60 से भी अधिक नंबर बढ़ गए। इसके विपरीत उसी पेपर में दूसरों के नंबर घट गए।
इतना ही नहीं जाति विशेष के अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में 135 से 141 तक अंक दिए गए जबकि ज्यादातर अभ्यर्थियों को 121 तक अंक मिले। प्रतियोगियों ने ये डिटेल हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में भी लगाए हैं। उन्होंने सीधी भर्ती के 23 भर्तियों का डिटेल जुटाया है।
इसमें ओबीसी के लिए निर्धारित सीट से डेढ़ गुना से भी अधिक पद पर जाति विशेष के अभ्यर्थियों का चयन हुआ है।
प्रतियोगियों का दावा है कि उन्होंने 2008 में चयनित जाति विशेष के अभ्यर्थियों की मार्कशीट शासन से हासिल की है। इनमें 72 अभ्यर्थियों को इंटरव्यू में 50 में से 34 और 35 अंक मिले हैं।
इन विवरणों को भी साक्ष्य के रूप में इस्तेमाल किया गया है।
इनके अलावा प्रतियोगियों का आरोप है कि समीक्षा अधिकारी, राजस्व निरीक्षक की प्रारंभिक परीक्षा में कई अभ्यर्थियों ने ओएमआर शीट खाली छोड़ दिया था जिन्हें बाद में भरा गया। जांच पर पता चलेगा कि सभी ओएमआर शीट एक ही पेन से भरे गए हैं।
प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अवनीश का आरोप है कि कई ऐसे शिक्षक हैं जिन्होंने कॉपियों का मूल्यांकन नहीं किया लेकिन पैनल में उनके नाम हैं। अवनीश का आरोप है कि इस बाबत आरटीआई के तहत जवाब मांगा जाएगा और साक्ष्य के रूप में इसे भी हाईकोर्ट के समक्ष रखा जाएगा।
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