शिक्षा सत्र जुलाई से करने की वकालत ; प्रदेश भर के बेसिक व माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों में एकराय
सीबीएसई व आइसीएसई बोर्ड की तर्ज पर उत्तर प्रदेश सरकार ने इस बार अप्रैल माह से शिक्षा का नया सत्र शुरू कर दिया। प्रवेश प्रक्रिया से लेकर पढ़ाई भी अप्रैल माह से शुरू हो गई।
हालांकि सरकार का यह कदम शिक्षक संगठनों के गले नहीं उतर रहा। लखनऊ में हुई माध्यमिक शिक्षक संघ ‘शर्मा गुट’ की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में यह मुद्दा छाया रहा।
संगठन ने प्रस्ताव पारित कर सरकार से पहले की तरह जुलाई से शिक्षा का सत्र चलाने की मांग उठाई गई। इसे लेकर प्रदेश भर के बेसिक व माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों में एकराय स्थापित करने की रणनीति भी बनी है।
इसके मद्देनजर शनिवार को ‘शर्मा गुट’ की बैठक हुई। वरिष्ठ नेता महेश दत्त शर्मा ने कहा कि अप्रैल माह से शिक्षा का नया सत्र शुरू करने का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि यह छात्र व शिक्षक दोनों के खिलाफ है।
प्रांतीय सदस्य कुंजबिहारी मिश्र व डॉ. शैलेश पांडेय ने कहा कि अप्रैल माह से शिक्षासत्र शुरू करना खानापूर्ति से अधिक कुछ नहीं है।
उन्होंने कहा कि अप्रैल माह में शिक्षक यूपी बोर्ड परीक्षा की कापियों का मूल्यांकन करते हैं। छात्रों को बाजार में किताबें भी नहीं मिलतीं, ऐसे में पढ़ाई होगी कैसे, सरकार को अपना फैसला वापस लेकर पहले की तरह पढ़ाई करानी चाहिए।
बैठक में कोषाध्यक्ष जगदीश प्रसाद, प्रमोद त्यागी, इंद्रदेव पांडेय, डॉ. डीके सिंह मौजूद थे। ठकुराई गुट के प्रदेश उपाध्यक्ष मुहर्रम अली ने भी शिक्षा का सत्र जुलाई से करने की वकालत की। कहा कि सरकार का यह फैसला सही नहीं है।
Kewards ; teachers,new session,july,upgovt
हालांकि सरकार का यह कदम शिक्षक संगठनों के गले नहीं उतर रहा। लखनऊ में हुई माध्यमिक शिक्षक संघ ‘शर्मा गुट’ की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में यह मुद्दा छाया रहा।
संगठन ने प्रस्ताव पारित कर सरकार से पहले की तरह जुलाई से शिक्षा का सत्र चलाने की मांग उठाई गई। इसे लेकर प्रदेश भर के बेसिक व माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों में एकराय स्थापित करने की रणनीति भी बनी है।
इसके मद्देनजर शनिवार को ‘शर्मा गुट’ की बैठक हुई। वरिष्ठ नेता महेश दत्त शर्मा ने कहा कि अप्रैल माह से शिक्षा का नया सत्र शुरू करने का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि यह छात्र व शिक्षक दोनों के खिलाफ है।
प्रांतीय सदस्य कुंजबिहारी मिश्र व डॉ. शैलेश पांडेय ने कहा कि अप्रैल माह से शिक्षासत्र शुरू करना खानापूर्ति से अधिक कुछ नहीं है।
उन्होंने कहा कि अप्रैल माह में शिक्षक यूपी बोर्ड परीक्षा की कापियों का मूल्यांकन करते हैं। छात्रों को बाजार में किताबें भी नहीं मिलतीं, ऐसे में पढ़ाई होगी कैसे, सरकार को अपना फैसला वापस लेकर पहले की तरह पढ़ाई करानी चाहिए।
बैठक में कोषाध्यक्ष जगदीश प्रसाद, प्रमोद त्यागी, इंद्रदेव पांडेय, डॉ. डीके सिंह मौजूद थे। ठकुराई गुट के प्रदेश उपाध्यक्ष मुहर्रम अली ने भी शिक्षा का सत्र जुलाई से करने की वकालत की। कहा कि सरकार का यह फैसला सही नहीं है।
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