शिक्षकों के मृतक आश्रित भी अब बन सकेंगे टीचर ; बीटीसी में मिलेगा बिना एंट्रेंस के एडमिशन
एनसीटीई (नैशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजूकेशन) के मानकों को पूरा करने के लिए सरकार उन्हें बीटीसी का प्रशिक्षण भी करवाएगी। प्रदेश सरकार इसकी तैयारी कर रही है।
इस प्रस्ताव को जल्दी ही सीएम अखिलेश यादव की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट की बैठक में लाया जाएगा। इस पर खुद सरकार ने पहल की है। बेसिक शिक्षा मंत्री भी इस पर सहमत हैं। अब बेसिक शिक्षा विभाग से इसका पूरा प्रस्ताव मांगा गया है।
दरअसल प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए स्नातक के अलावा बीटीसी और टीईटी होना अनिवार्य है।
ज्यादातर मृतक आश्रित बीटीसी और टीईटी पास नहीं होते। उनके पास यूजी और पीजी की डिग्री होने के बावजूद क्लर्क या चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की नौकरी ही दी जाती है। संकट की स्थिति में वे यही नौकरी करने को मजबूर होते हैं।
इसी को देखते हुए प्रदेश सरकार ने
शिक्षकों के मृतक आश्रित बनेंगे टीचर
मृतक आश्रितों की यह मांग थी कि उन्हें शिक्षक बनने के लिए सहूलियत दी जाए। यदि वे योग्यता रखते हैं और बीटीसी प्रशिक्षण में सहूलियत मिले तो वे शिक्षक बन सकते हैं। सरकार इस पर विचार कर रही है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद अमल किया जा सकेगा।
बेसिक शिक्षा विभाग से इस बारे में प्रस्ताव मांगा है। शिक्षा विभाग ने भी इस बारे में विधि विशेषज्ञों से राय ले ली है। विभागीय जानकारों का कहना है कि एनसीटीई के मानके के अनुसार बीटीसी और टीईटी होना जरूरी है।
चतुर्थ श्रेणी में नहीं करना चाहते हैं नौकरी
पिछले दिनों कुछ मृतक आश्रितों ने इस बात की शिकायत सरकार से की और कोर्ट में भी कुछ लोग गए कि शिक्षक के मृतक आश्रित चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी बनने को मजबूर हैं।
जब शिक्षा मित्रों को बीटीसी कराके उन्हें शिक्षक बनाया जाता है तो फिर शिक्षकों के मृतक आश्रितों को क्यों नहीं/ ऐसे करीब 2000 मृतक आश्रित हैं जिनके आवेदन पड़े हुए हैं और वे क्लर्क एवं चतुर्थ श्रेणी की नौकरी नहीं करना चाहते। वे सरकार से शिक्षक की नौकरी की मांग कर रहे हैं। उनकी यह मांग पूरी होने पर भविष्य में भी मृतक आश्रितों के लिए रास्ता साफ हो जाएगा।
Keywords ; teachers,TET,mratakasrit,upgovet
इस प्रस्ताव को जल्दी ही सीएम अखिलेश यादव की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट की बैठक में लाया जाएगा। इस पर खुद सरकार ने पहल की है। बेसिक शिक्षा मंत्री भी इस पर सहमत हैं। अब बेसिक शिक्षा विभाग से इसका पूरा प्रस्ताव मांगा गया है।
दरअसल प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए स्नातक के अलावा बीटीसी और टीईटी होना अनिवार्य है।
ज्यादातर मृतक आश्रित बीटीसी और टीईटी पास नहीं होते। उनके पास यूजी और पीजी की डिग्री होने के बावजूद क्लर्क या चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की नौकरी ही दी जाती है। संकट की स्थिति में वे यही नौकरी करने को मजबूर होते हैं।
इसी को देखते हुए प्रदेश सरकार ने
शिक्षकों के मृतक आश्रित बनेंगे टीचर
मृतक आश्रितों की यह मांग थी कि उन्हें शिक्षक बनने के लिए सहूलियत दी जाए। यदि वे योग्यता रखते हैं और बीटीसी प्रशिक्षण में सहूलियत मिले तो वे शिक्षक बन सकते हैं। सरकार इस पर विचार कर रही है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद अमल किया जा सकेगा।
बेसिक शिक्षा विभाग से इस बारे में प्रस्ताव मांगा है। शिक्षा विभाग ने भी इस बारे में विधि विशेषज्ञों से राय ले ली है। विभागीय जानकारों का कहना है कि एनसीटीई के मानके के अनुसार बीटीसी और टीईटी होना जरूरी है।
चतुर्थ श्रेणी में नहीं करना चाहते हैं नौकरी
पिछले दिनों कुछ मृतक आश्रितों ने इस बात की शिकायत सरकार से की और कोर्ट में भी कुछ लोग गए कि शिक्षक के मृतक आश्रित चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी बनने को मजबूर हैं।
जब शिक्षा मित्रों को बीटीसी कराके उन्हें शिक्षक बनाया जाता है तो फिर शिक्षकों के मृतक आश्रितों को क्यों नहीं/ ऐसे करीब 2000 मृतक आश्रित हैं जिनके आवेदन पड़े हुए हैं और वे क्लर्क एवं चतुर्थ श्रेणी की नौकरी नहीं करना चाहते। वे सरकार से शिक्षक की नौकरी की मांग कर रहे हैं। उनकी यह मांग पूरी होने पर भविष्य में भी मृतक आश्रितों के लिए रास्ता साफ हो जाएगा।
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