शिक्षामित्रों के प्रशिक्षण की वैधता तय करे एनसीटीई : हाईकोर्ट
शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक के पद पर चयन और नियुक्ति को रद्द करते हुए हाईकोर्ट की पूर्णपीठ ने माना है कि शिक्षामित्रों के चयन से योग्यताधारी अभ्यर्थियों के अधिकार का हनन हुआ है। शिक्षामित्रों की ओर से बीटीसी और टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों द्वारा याचिका दाखिल करने के अधिकार पर सवाल उठाया गया था। कहा गया कि शिक्षामित्रोें की नियुक्ति से उनको कोई नुकसान नहीं है, इसलिए उन्हें याचिका दाखिल करने का अधिकार नहीं है।
फुलबेंच ने इस प्रश्न का समाधान करते हुए कहा कि जिन शिक्षामित्रों को नियमित किया गया है वह न तो एनसीटीई द्वारा निर्धारित न्यूनतम योग्यता रखते हैं और न ही उनकी नियुक्ति स्वीकृत पदों पर हुई है। राज्य सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 में नया रूल 16 ए जोड़कर न्यूनतम अर्हता को संशोधित करने का अधिकार हासिल कर लिया। सरकार का यह कार्य गैरकानूनी है। इसके फलस्वरूप ऐसे योग्य अभ्यर्थी जो एनसीटीई द्वारा निर्धारित न्यूनतम अर्हता पूरी करते हैं, उनके अधिकारों का हनन हुआ है। याचीगण सहायक अध्यापक के पद पर आवेदन करने की पूरी योग्यता रखते हैं, उनके अधिकार का स्पष्ट रूप से हनन हुआ है। फु लकोर्ट ने शिक्षामित्रों को दूरस्थ माध्यम से दिए गए दो वर्षीय प्रशिक्षण की वैधता तय करने का जिम्मा एनसीटीई पर छोड़ दिया है।
एनसीटीई के हलफनामे में कहा गया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने उनको सच्चाई बताए बिना ट्रेनिंग की अनुमति हासिल की। सरकार ने प्रशिक्षण की अनुमति स्नातक शिक्षामित्रों के लिए मांगी थी।
एक लाख 24 हजार स्नातक शिक्षामित्रों के अलावा 46 हजार ऐसे शिक्षामित्रों को भी प्रशिक्षण दिलाया गया, जिनकी योग्यता मात्र इंटरमीडिएट है। अदालत ने कहा शिक्षामित्रोें को दिए गए प्रशिक्षण की वैधता स्वयं एनसीटीई तय करे।
अनुभव योग्यता का विकल्प नहीं
फुलकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि शिक्षामित्रों का अनुभव योग्यता का विकल्प नहीं हो सकता है। अभ्यर्थी के पास नियुक्ति के समय न्यूनतम योग्यता होना अनिवार्य है। शिक्षामित्र किसी भी दृष्टि से न्यूनतम योग्यता नहीं रखते हैं और यदि उन्होंने कुछ अनुभव हासिल किया है तब भी वह अर्हता का विकल्प नहीं हो सकता है।
सरकार के इन फैसलों को कोर्ट ने किया रद्द
•30 मई 2014 को जारी अधिसूचना जिसमें सरकार ने आरटीई रूल्स में संशोधन कर नियम 16 ए शामिल किया।
•उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा (उन्नीसवां संशोधन) नियमावली 2014 का नियम 5(2) और 8(2)(सी) और शिक्षा मित्रों के समायोजन संबंधी नियम नियम 14(6) को असंवैधानिक और अल्ट्रावायरस घोषित करते हुए रद्द कर दिया है।
• शिक्षा मित्रों के समायोजन संबंधी सरकार के सभी परिणामी प्रशासनिक आदेशों को भी कोर्ट ने रद्द कर दिया है।
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फुलबेंच ने इस प्रश्न का समाधान करते हुए कहा कि जिन शिक्षामित्रों को नियमित किया गया है वह न तो एनसीटीई द्वारा निर्धारित न्यूनतम योग्यता रखते हैं और न ही उनकी नियुक्ति स्वीकृत पदों पर हुई है। राज्य सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 में नया रूल 16 ए जोड़कर न्यूनतम अर्हता को संशोधित करने का अधिकार हासिल कर लिया। सरकार का यह कार्य गैरकानूनी है। इसके फलस्वरूप ऐसे योग्य अभ्यर्थी जो एनसीटीई द्वारा निर्धारित न्यूनतम अर्हता पूरी करते हैं, उनके अधिकारों का हनन हुआ है। याचीगण सहायक अध्यापक के पद पर आवेदन करने की पूरी योग्यता रखते हैं, उनके अधिकार का स्पष्ट रूप से हनन हुआ है। फु लकोर्ट ने शिक्षामित्रों को दूरस्थ माध्यम से दिए गए दो वर्षीय प्रशिक्षण की वैधता तय करने का जिम्मा एनसीटीई पर छोड़ दिया है।
एनसीटीई के हलफनामे में कहा गया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने उनको सच्चाई बताए बिना ट्रेनिंग की अनुमति हासिल की। सरकार ने प्रशिक्षण की अनुमति स्नातक शिक्षामित्रों के लिए मांगी थी।
एक लाख 24 हजार स्नातक शिक्षामित्रों के अलावा 46 हजार ऐसे शिक्षामित्रों को भी प्रशिक्षण दिलाया गया, जिनकी योग्यता मात्र इंटरमीडिएट है। अदालत ने कहा शिक्षामित्रोें को दिए गए प्रशिक्षण की वैधता स्वयं एनसीटीई तय करे।
अनुभव योग्यता का विकल्प नहीं
फुलकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि शिक्षामित्रों का अनुभव योग्यता का विकल्प नहीं हो सकता है। अभ्यर्थी के पास नियुक्ति के समय न्यूनतम योग्यता होना अनिवार्य है। शिक्षामित्र किसी भी दृष्टि से न्यूनतम योग्यता नहीं रखते हैं और यदि उन्होंने कुछ अनुभव हासिल किया है तब भी वह अर्हता का विकल्प नहीं हो सकता है।
सरकार के इन फैसलों को कोर्ट ने किया रद्द
•30 मई 2014 को जारी अधिसूचना जिसमें सरकार ने आरटीई रूल्स में संशोधन कर नियम 16 ए शामिल किया।
•उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा (उन्नीसवां संशोधन) नियमावली 2014 का नियम 5(2) और 8(2)(सी) और शिक्षा मित्रों के समायोजन संबंधी नियम नियम 14(6) को असंवैधानिक और अल्ट्रावायरस घोषित करते हुए रद्द कर दिया है।
• शिक्षा मित्रों के समायोजन संबंधी सरकार के सभी परिणामी प्रशासनिक आदेशों को भी कोर्ट ने रद्द कर दिया है।
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