यू पी में शिक्षा मित्रो के साथ हो रहा है सरकारी मजाक ; " शादी नहीं करनी थी तो शादी का झांसा क्यों दिया बे....."
कुछ ऐसा ही सरकारी मजाक शिक्षा मित्रो के साथ हो रहा है। शुरू से ही सरकारी नीयत पर संदेह था बात आती है उच्च स्तरीय अधिकारियो की जो अपनी विद्वता और अनुभव की पराकाष्ठा के आधार पर उस पद को सुशोभित करते है क्या इस स्तर पर किसी को जानकारी न थी कि समायोजन के लिए आवश्यक व्यवस्था पूर्ण है कि नही ??
एक बड़े प्रदेश के आला अफसरो से ऐसी लापरवाही की उम्मीद कतई नही की जा सकती थी
फिर काहे झांसे में रखा गया शिक्षा मित्रो को ?
क्यों फजीहत करायी गयी समाज में और कोर्ट में ? कौन जबाबदेह है इसका ?
यह झांसा देने का सरकारी महामंत्र आज भी जारी है ...... वेतन/मानदेय के मामले में सिकड़ी का खेल जारी है bsa वित्त व् लेखाधिकारी को पत्र लिख रहे है और कही वित्त & लेखाधिकारी bsa से लिखित गाइडलाइन मांग रहे है
क्या ड्रामा है ये ?
वेतन देना है तो सभी bsa व् वित्त लेखाधिकारी को स्पष्ट आदेश काहे जारी नही करते प्रदेश स्तर से ?
बीनही करना है तो प्लीज भाषणबाज़ी बन्द करिये बहुत हुआ ये मजाक अब बन्द होना चाहिए....
एक और सरकारी मजाक .....
सचिव साहब जून 2013 में प्रथम नियुक्ति को आधार बनाकर कर जूनियर हेड के लिए पदोन्नति का आदेश दिए जो तभी माननीय न्यायलय द्वारा स्टे कर दिया था
दो साल बाद पुनः याद आई,
मई 2015 में विधिक राय लेकर जून 2013 का जारी किया आदेश वापस ले लिया और साथ ही 1981 सेवा नियमावली से पदोन्नति का आदेश मजबूरन जारी करना पड़ा
मजाक यही बन्द न हुआ मित्रो सभी जनपदों के bsa को आकाशवाणी हुई और आनन् फानन में प्रथम नियुक्ति से पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू हो गयी जिसको माननीय उच्च न्यायलय ने 2013 में ही स्टे कर दिया था
क्या साहब को जानकारी न थी की जो आदेश नियम विरुद्ध है पूर्व में स्टे था वह फिर से स्टे हो जायेगा ?
यह मजाक नही तो और क्या हो रहा है ?????
एक और बानगी देखिये सरकारी मजाक की.....
बुधवार को mdm के साथ प्रत्येक बच्चे को 200 ml दूध पिलाना है कोताही बरतने पर सम्बंधित अध्यापक के विरुद्ध कार्यवाही लेकिन दूध के लिए पैसा कहा से आएगा कोई कुछ कहने को तैयार ही नही है।
साधारण अध्यापक से लेकर बड़े बड़े शिक्षक नेता सब पिलवा रहे है बिना चू चपड़ किये कुछ अपनी जेब से कुछ प्रधान से झूठ बोलकर ।
वाह रे सरकारी मजाक....
Kewards ; shikshamitra,teachers,samayojan,TET
एक बड़े प्रदेश के आला अफसरो से ऐसी लापरवाही की उम्मीद कतई नही की जा सकती थी
फिर काहे झांसे में रखा गया शिक्षा मित्रो को ?
क्यों फजीहत करायी गयी समाज में और कोर्ट में ? कौन जबाबदेह है इसका ?
यह झांसा देने का सरकारी महामंत्र आज भी जारी है ...... वेतन/मानदेय के मामले में सिकड़ी का खेल जारी है bsa वित्त व् लेखाधिकारी को पत्र लिख रहे है और कही वित्त & लेखाधिकारी bsa से लिखित गाइडलाइन मांग रहे है
क्या ड्रामा है ये ?
वेतन देना है तो सभी bsa व् वित्त लेखाधिकारी को स्पष्ट आदेश काहे जारी नही करते प्रदेश स्तर से ?
बीनही करना है तो प्लीज भाषणबाज़ी बन्द करिये बहुत हुआ ये मजाक अब बन्द होना चाहिए....
एक और सरकारी मजाक .....
सचिव साहब जून 2013 में प्रथम नियुक्ति को आधार बनाकर कर जूनियर हेड के लिए पदोन्नति का आदेश दिए जो तभी माननीय न्यायलय द्वारा स्टे कर दिया था
दो साल बाद पुनः याद आई,
मई 2015 में विधिक राय लेकर जून 2013 का जारी किया आदेश वापस ले लिया और साथ ही 1981 सेवा नियमावली से पदोन्नति का आदेश मजबूरन जारी करना पड़ा
मजाक यही बन्द न हुआ मित्रो सभी जनपदों के bsa को आकाशवाणी हुई और आनन् फानन में प्रथम नियुक्ति से पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू हो गयी जिसको माननीय उच्च न्यायलय ने 2013 में ही स्टे कर दिया था
क्या साहब को जानकारी न थी की जो आदेश नियम विरुद्ध है पूर्व में स्टे था वह फिर से स्टे हो जायेगा ?
यह मजाक नही तो और क्या हो रहा है ?????
एक और बानगी देखिये सरकारी मजाक की.....
बुधवार को mdm के साथ प्रत्येक बच्चे को 200 ml दूध पिलाना है कोताही बरतने पर सम्बंधित अध्यापक के विरुद्ध कार्यवाही लेकिन दूध के लिए पैसा कहा से आएगा कोई कुछ कहने को तैयार ही नही है।
साधारण अध्यापक से लेकर बड़े बड़े शिक्षक नेता सब पिलवा रहे है बिना चू चपड़ किये कुछ अपनी जेब से कुछ प्रधान से झूठ बोलकर ।
वाह रे सरकारी मजाक....
Kewards ; shikshamitra,teachers,samayojan,TET
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