टीईटी का प्रमाणपत्र ‘लाइफ टाइम’ नहीं ; 2011 में टीईटी पास तमाम अभ्यर्थी दोबारा सवालों से जूझते आयेंगे नजर
टीईटी का प्रमाणपत्र ‘लाइफ टाइम’ नहीं चलेगा, बल्कि यह तय मियाद के बाद एक्सपायर्ड हो जाएगा। 2011 में टीईटी पास करने वाले लगभग सवा दो लाख युवाओं की यह डिग्री ऐसे ही कागज के टुकड़ों में तब्दील हो जाएगी।
नई परीक्षा की चुनौती पार कर पाना उनकी मजबूरी है वरना वह शिक्षक भर्ती से बाहर होंगे।
शिक्षक पात्रता परीक्षा 2015 आगामी दो फरवरी 2016 को होनी है। इसके लिए बड़े पैमाने पर आवेदनों से साफ है कि दावेदार इस परीक्षा को पास करने के बाद ही शिक्षक बनने के सपने बुनेंगे।
हालांकि अब तक हो चुकी और होने जा रही टीईटी में वे अभ्यर्थी शामिल नहीं हैं, जो एक बार परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके हैं, लेकिन 2015 के बाद होने वाले टीईटी इम्तिहान में तमाम अभ्यर्थी दोबारा सवालों से जूझते नजर आएंगे।
इसकी वजह यह है कि निवास एवं आय प्रमाणपत्र की तरह ही टीईटी प्रमाणपत्र की भी आयु तय है। पांच वर्ष के बाद टीईटी का प्रमाणपत्र महज कागज का टुकड़ा रह जाएगा।
ऐसे में बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में नियुक्ति पाने के इच्छुक अभ्यर्थियों को हर पांच साल पर नए सिरे से परीक्षा देनी होगी।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद यानी एनसीटीई के निर्देश के बाद प्रदेश में पहली बार टीईटी परीक्षा 2011 में कराई गई थी। उस समय परीक्षा में पांच लाख 96 हजार 733 अभ्यर्थी बैठे थे जिसमें से दो लाख 92 हजार 915 अभ्यर्थी परीक्षा में उत्तीर्ण हुए थे।
चार वर्ष बाद उनमें से अब तक केवल 58 हजार अभ्यर्थियों को ही शिक्षक के रूप में तैनाती मिली है। एक साल बाद यानी नवंबर 2016 में करीब सवा दो लाख से अधिक अभ्यर्थियों का 2011 टीईटी उत्तीर्ण का प्रमाणपत्र बेकार हो जाएगा।
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नई परीक्षा की चुनौती पार कर पाना उनकी मजबूरी है वरना वह शिक्षक भर्ती से बाहर होंगे।
शिक्षक पात्रता परीक्षा 2015 आगामी दो फरवरी 2016 को होनी है। इसके लिए बड़े पैमाने पर आवेदनों से साफ है कि दावेदार इस परीक्षा को पास करने के बाद ही शिक्षक बनने के सपने बुनेंगे।
हालांकि अब तक हो चुकी और होने जा रही टीईटी में वे अभ्यर्थी शामिल नहीं हैं, जो एक बार परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके हैं, लेकिन 2015 के बाद होने वाले टीईटी इम्तिहान में तमाम अभ्यर्थी दोबारा सवालों से जूझते नजर आएंगे।
इसकी वजह यह है कि निवास एवं आय प्रमाणपत्र की तरह ही टीईटी प्रमाणपत्र की भी आयु तय है। पांच वर्ष के बाद टीईटी का प्रमाणपत्र महज कागज का टुकड़ा रह जाएगा।
ऐसे में बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में नियुक्ति पाने के इच्छुक अभ्यर्थियों को हर पांच साल पर नए सिरे से परीक्षा देनी होगी।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद यानी एनसीटीई के निर्देश के बाद प्रदेश में पहली बार टीईटी परीक्षा 2011 में कराई गई थी। उस समय परीक्षा में पांच लाख 96 हजार 733 अभ्यर्थी बैठे थे जिसमें से दो लाख 92 हजार 915 अभ्यर्थी परीक्षा में उत्तीर्ण हुए थे।
चार वर्ष बाद उनमें से अब तक केवल 58 हजार अभ्यर्थियों को ही शिक्षक के रूप में तैनाती मिली है। एक साल बाद यानी नवंबर 2016 में करीब सवा दो लाख से अधिक अभ्यर्थियों का 2011 टीईटी उत्तीर्ण का प्रमाणपत्र बेकार हो जाएगा।
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