सीधे हाई कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाएंगे शिक्षक,राज्य शैक्षिक अभिकरण गठित होगा
स्कूलों तथा अनुदानित बेसिक व माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों व शिक्षणोतर कर्मचारियों को निकट भविष्य में अपने सेवा संबंधी मामलों के लिए सीधे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की जरूरत नहीं होगी। ऐसे मामलों की सुनवाई मंडल स्तर पर गठित होने वाले मंडलीय शैक्षिक अधिकरण में हो सकेगी।
हाई कोर्ट में बेसिक और माध्यमिक शिक्षकों के सेवा संबंधी मुकदमों की बढ़ती संख्या से चिंतित राज्य सरकार ने ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए उत्तर प्रदेश राज्य शैक्षिक अधिकरण गठित करने का फैसला किया है।
माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इसका खाका तैयार कर लिया है। इसके तहत प्रत्येक मंडल स्तर पर रिटायर्ड जिला जज की अध्यक्षता में मंडलीय शैक्षिक अधिकरण गठित किया जाएगा। मंडलीय शैक्षिक अधिकरण में अध्यक्ष के अलावा उपाध्यक्ष (न्यायिक) व उपाध्यक्ष (प्रशासनिक) के एक-एक पद तथा सदस्य (न्यायिक) व सदस्य (प्रशासनिक) के तीन-तीन पद होंगे।
हाई कोर्ट में बेसिक और माध्यमिक शिक्षकों के सेवा संबंधी मुकदमों की बढ़ती संख्या से चिंतित राज्य सरकार ने ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए उत्तर प्रदेश राज्य शैक्षिक अधिकरण गठित करने का फैसला किया है।
माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इसका खाका तैयार कर लिया है। इसके तहत प्रत्येक मंडल स्तर पर रिटायर्ड जिला जज की अध्यक्षता में मंडलीय शैक्षिक अधिकरण गठित किया जाएगा। मंडलीय शैक्षिक अधिकरण में अध्यक्ष के अलावा उपाध्यक्ष (न्यायिक) व उपाध्यक्ष (प्रशासनिक) के एक-एक पद तथा सदस्य (न्यायिक) व सदस्य (प्रशासनिक) के तीन-तीन पद होंगे।
शिक्षक व शिक्षणोतर कर्मचारी वेतन भुगतान, सेवानिवृत्ति से जुड़े लाभ, अनुशासनिक व विभागीय कार्रवाई, पदोन्नति, पद से हटाये जाने आदि सेवा संबंधी मामलों के मुकदमे सीधे हाई कोर्ट में नहीं दाखिल कर सकेंगे। उन्हें ऐसे वाद मंडलीय शैक्षिक अधिकरण में दायर करने होंगे।
मंडलीय शैक्षिक अधिकरण के फैसले के खिलाफ वे राजधानी में प्रस्तावित राज्य शैक्षिक अधिकरण में अपील कर सकेंगे।
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