मा0अखिलेश जी अब पछताए होत का जब चिड़ियां चुग गयीं खेत।
*समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री मा0 अखिलेश यादव को अब आरक्षण की याद आ रही है आबादी के हिसाब से आरक्षण मांगने के उनके बयान पर लोगों को तरस व हंसी आ रही है साथियो जैसा कि आपको विदित है कि मा0अखिलेश यादव जी व इनके पिताश्री जिस आरक्षण रूपी डाल पर बैठे थेउसे ही दोनों हाथों से पूरी ताकत के साथ काटने में लगे थे।आपके पिता मुलायम सिंह जी ने जिस तरह लोक सभा मे पदोन्नति में आरक्षण विधेयक को फड़वाकर आरक्षण का सबसे बड़ा विरोधी होने का सबूत पेश किया वहीं आप स्वंय उ0प्र0 में आरक्षित वर्गों का भारी नुकसान करने के बाद आरक्षण विरोधियों से राजस्थान में अपना सम्मान करवा रहे थे उनके साथ जश्न मना रहे थे व राजस्थान सरकार को सलाह भी दे रहे थे कि हमने देश भर में पदोन्नति में आरक्षण सबसे पहले खत्म किया अब राजस्थान सरकार भी शीघ्र खत्म करे।
महोदय उस वक्त आप अपने आप को सत्ता के मद में भूल गए थे और और आप इस मुगालते मे थे कि कि आपके आरक्षण का जबरजस्त विरोध करने से सवर्ण जातियां खुश होकर सपा को वोट कर देंगी। और आपकी सत्ता में पुनः वापसी हो जाएगी।लेकिन आपको नहीं भूलना चाहिये कि जिस किसी ने आपको आरक्षण पर हथौड़ा चलाने की सलाह दी होगी वह आपका कतई हितैषी नहीं होगा।
क्योंकि दलितों को पदोन्नति में आरक्षण विल यदि पास हो जाता तो यह पिछड़ों को भी पदोन्नति में आरक्षण का नजीर बनता जो आपक सलाहकार कतई नही चाहते थे।
आपने भजपा नेता सुब्रणह्यम स्वामी के "आरक्षण के रहने व न रहने का कोई मतलब न रहेगा" वाले बयान पर मांग की थी कि आबादी के हिसाब से आरक्षण का बंटवारा होना चाहिए तो में आपसे पूछना चाहता हूं कि
१-क्या अनुसूचित जातियों के पदोन्नति में आरक्षण में आबादी के हिसाब से भगीदारी का प्रावधान नही था?
२-आपकी पूर्ववर्ती सरकार में प्रदेश जिला,तहसील,ब्लॉक थानों आदि में अधिकारियों,कर्मचारियों,शिक्षकों की पोस्टिंग में लागू आरक्षण(रोस्टर) में क्या आबादी के हिसाब भागेदारी नहीं थी?
३-क्या ठेकों,तालाब,नदी (बालू)के पट्टों आदि ,में लागू आरक्षण दलित पिछड़ों को जो लाभ मिल रहा था उससे आपको भारी कष्ट था।
४-अखिलेश जी आपने तो दलित,पिछड़ों व गरीबों को मिलने वाली छात्रवृति,शादी-बीमारी अनुदान तक बंद कर दिया।
इतना ही नही अखिलेश जी जिन्होंने आरक्षण की शुरुवात की जिन्हें आरक्षण का जन्मदाता माना जाता है समस्त आरक्षित वर्ग उन्हें अपना मसीहा मानता है उनके नाम पर शाहूजी मेडिकल कालेज का नामकरण कर उन्हें सम्मान दिया गया जिसको भी आपने बदलकर पुनः आक्रमण कारी अंग्रेज किंग जार्ज के नाम कर अंग्रेजो को सम्मान दिया जिनको देशवासी पानी पी-पीकर कोसते है।
इतना ही नही अखिलेश जी जिन कांशीराम जी ने पिछड़े वर्गों के लिए 27%आरक्षण व मण्डल कमीशन की सिफारिशें लागू कराने के लिए देश भर में जबरदस्त आंदोलन चलाया तथा आपके पिताश्री को दुबारा मुख्यमंत्री बनवाया आपने उनके नाम पर नामकरण किये गए उरई मेडिकल कालेज के नाम ही बदल डाला व उनके जन्मदिन कि छुट्टी कैंसिल कर दी।
यहाँ तक कि जिनके बनाये संबिधान की आपने मुख्यमंत्री पद की शपथ खाई आपने उन डॉ बाबा साहब अम्बेडकर को भी नहीं छोड़ा उनके परिनिर्वाण की छुट्टी कैसिल कर उनका भी अपमान कर डाला।
अखिलेश जी आपके द्वारा दलित पिछड़ों के साथ किये गए उक्त कृत्यों से आरक्षित वर्ग ठगा सा महसूस कर रहा है।
अब स्कूल,कॉलेजों, विश्वविद्यालयो में प्रवेश से लेकर नौकरियों तक में अनारक्षित श्रेणी 50.5% में 15% सवर्णो को विना संबिधान संशोधन के आरक्षण मिल गया और 85% आबादी को 49.5%में समेट दिया गया इसके समाधान के लिए क्या आपके पास कोई फार्मूला है या आंदोलन करने का विचार है ?
या यों कहें कि हाथीके दांत दिखाने के और व खाने के और होते है।
सुगत बौद्ध उरई (समाजशास्त्री &आरक्षण विश्लेषक )
Keyword ; teacher,tet,shikshamitra,samayojan
महोदय उस वक्त आप अपने आप को सत्ता के मद में भूल गए थे और और आप इस मुगालते मे थे कि कि आपके आरक्षण का जबरजस्त विरोध करने से सवर्ण जातियां खुश होकर सपा को वोट कर देंगी। और आपकी सत्ता में पुनः वापसी हो जाएगी।लेकिन आपको नहीं भूलना चाहिये कि जिस किसी ने आपको आरक्षण पर हथौड़ा चलाने की सलाह दी होगी वह आपका कतई हितैषी नहीं होगा।
क्योंकि दलितों को पदोन्नति में आरक्षण विल यदि पास हो जाता तो यह पिछड़ों को भी पदोन्नति में आरक्षण का नजीर बनता जो आपक सलाहकार कतई नही चाहते थे।
आपने भजपा नेता सुब्रणह्यम स्वामी के "आरक्षण के रहने व न रहने का कोई मतलब न रहेगा" वाले बयान पर मांग की थी कि आबादी के हिसाब से आरक्षण का बंटवारा होना चाहिए तो में आपसे पूछना चाहता हूं कि
१-क्या अनुसूचित जातियों के पदोन्नति में आरक्षण में आबादी के हिसाब से भगीदारी का प्रावधान नही था?
२-आपकी पूर्ववर्ती सरकार में प्रदेश जिला,तहसील,ब्लॉक थानों आदि में अधिकारियों,कर्मचारियों,शिक्षकों की पोस्टिंग में लागू आरक्षण(रोस्टर) में क्या आबादी के हिसाब भागेदारी नहीं थी?
३-क्या ठेकों,तालाब,नदी (बालू)के पट्टों आदि ,में लागू आरक्षण दलित पिछड़ों को जो लाभ मिल रहा था उससे आपको भारी कष्ट था।
४-अखिलेश जी आपने तो दलित,पिछड़ों व गरीबों को मिलने वाली छात्रवृति,शादी-बीमारी अनुदान तक बंद कर दिया।
इतना ही नही अखिलेश जी जिन्होंने आरक्षण की शुरुवात की जिन्हें आरक्षण का जन्मदाता माना जाता है समस्त आरक्षित वर्ग उन्हें अपना मसीहा मानता है उनके नाम पर शाहूजी मेडिकल कालेज का नामकरण कर उन्हें सम्मान दिया गया जिसको भी आपने बदलकर पुनः आक्रमण कारी अंग्रेज किंग जार्ज के नाम कर अंग्रेजो को सम्मान दिया जिनको देशवासी पानी पी-पीकर कोसते है।
इतना ही नही अखिलेश जी जिन कांशीराम जी ने पिछड़े वर्गों के लिए 27%आरक्षण व मण्डल कमीशन की सिफारिशें लागू कराने के लिए देश भर में जबरदस्त आंदोलन चलाया तथा आपके पिताश्री को दुबारा मुख्यमंत्री बनवाया आपने उनके नाम पर नामकरण किये गए उरई मेडिकल कालेज के नाम ही बदल डाला व उनके जन्मदिन कि छुट्टी कैंसिल कर दी।
यहाँ तक कि जिनके बनाये संबिधान की आपने मुख्यमंत्री पद की शपथ खाई आपने उन डॉ बाबा साहब अम्बेडकर को भी नहीं छोड़ा उनके परिनिर्वाण की छुट्टी कैसिल कर उनका भी अपमान कर डाला।
अखिलेश जी आपके द्वारा दलित पिछड़ों के साथ किये गए उक्त कृत्यों से आरक्षित वर्ग ठगा सा महसूस कर रहा है।
अब स्कूल,कॉलेजों, विश्वविद्यालयो में प्रवेश से लेकर नौकरियों तक में अनारक्षित श्रेणी 50.5% में 15% सवर्णो को विना संबिधान संशोधन के आरक्षण मिल गया और 85% आबादी को 49.5%में समेट दिया गया इसके समाधान के लिए क्या आपके पास कोई फार्मूला है या आंदोलन करने का विचार है ?
या यों कहें कि हाथीके दांत दिखाने के और व खाने के और होते है।
सुगत बौद्ध उरई (समाजशास्त्री &आरक्षण विश्लेषक )
Keyword ; teacher,tet,shikshamitra,samayojan
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