SHIKSHAMITRA SAMAYOJAN MAMLA ; समायोजन रद्द होने के पश्चात शिक्षामित्रो केआंदोलन को सरकार अपनी राजनीतिक सूझ बूझ का परिचय देते हुए समाप्त कराने मे सफल

                 समायोजन रद्द होने के पश्चात शिक्षामित्रो के ध्दारा अपनाये गए उग्र आंदोलन को सरकार अपनी राजनीतिक सूझ बूझ का परिचय देते हुए समाप्त कराने मे सफल रही है ।शिक्षामित्रो का आगामी भविष्य क्या है इसको लेकर सभी बन्धु संशय मे है, मित्रो अधिकतर लोग अध्यादेश लाने की बात कर रहे है, तो कुछ नये पद पर नियुक्त करने की माँग कर रहे है और कुछ मानदेय बढाने की मांग कर रहे है ।किन्तु वास्तविकता से कोई सामना नही करना चाहता है ।सरकार सम्भवत मानदेय बढाने पर ही काम कर रही है, किंतु मानदेय किसी समस्या का समाधान नही है हमे आये दिन अपनी समस्याओ को लेकर सड़क पर संघर्ष करना पडे़गा, एक एक शिक्षामित्र इस समस्या का स्थायी समाधान चाहता है, क्योंकि धरना प्रदर्शन सड़को पर ताली बजाना बहुत हो चुका है ।मित्रो आज बड़ा दुख होता है कि शिमि अभी भी झूठी दुनिया मे जीना चाहता है, वास्तविकता से दूर भागना चाहता है।मित्रो सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि
questions now is whether   in absence of any right in favour of shiksha mitra, they are entitled to any other relief or preference in the peculiar fact situation, they ought to be given opportunity to be considered for recruitment if they have acquired or they  now acquire the requisite qualifications in terms of advertisement for recruitment for next two consecutive recruitment.
                  अध्यादेश की माँग करने वाले मित्रो को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि समायोजन मात्र टेट के कारण निरस्त नही हुआ है, समायोजन निरस्त होने के जो प्रमुख कारण है वो इस प्रकार है
1-संविधान के आर्टिकल  14 व 16 अवसर की समानता का उल्लंघन ।
2--  ग्यारह माह का कॉन्ट्रैक्ट, व सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक पीठ के ध्दारा उमा देवी केस का निर्णय ।
3-- शिक्षक पात्रता परीक्षा का न होना ।
यदि सरकार शिक्षामित्रो के सहायक अध्यापक के पद को बचाने के लिए अध्यादेश लाती है तो उपरोक्त तीनो विषयो पर अध्यादेश लाना होगा, तभी सहायक अध्यापक पद बरकरार रखा जा सकता है ।
अध्यादेश व उसका प्रभाव क्या होगा  ??
1-- यदि अवसर की समानता पर अध्यादेश संसद मे लाया जाता है, तो आगामी भर्तियो मे भ्रष्टाचार बढेगा, क्षेत्रवाद, परिवारवाद को बढ़ावा मिलेगा तथा भारतीय संविधान के ध्दारा प्रदत्त मूल अधिकार को समाप्त करना पडे़गा ।
2--- उमा देवी के फैसले को समाप्त करने के लिए संसद मे अध्यादेश लाने पर देश के विभिन्न  विभागो मे कार्यरत  लगभग 22  लाख से अधिक संविदा कर्मियो को इसका सीधा लाभ मिलेगा, परिणामस्वरूप सभी के ध्दारा स्थायी करने की मांग उठेगी ।
3--- टेट से छूट का अध्यादेश लाने पर देश केविभिन्न राज्यो मे कार्यरत लगभग  6 लाख पैराशिक्षको को भी टेट से छूट देकर अध्यापक बनाना पड़ेगा ।
उपरोक्त तीनो अध्यादेश के बिना सहायक अध्यापक बन पाना असंभव है ।यदि हम शिक्षामित्र पद की बात करे तो जबतक दो भर्ती का आयोजन राज्य सरकार नही कर  लेती है तभी तक हम शिक्षामित्र रह सकते है, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार ।अतः शिक्षामित्र का पद व मानदेय कुछ दिनो बाद हमे फिर सड़क पर लाकर खड़ा कर देगा ।
शिक्षामित्र जो टेट पास है उन्हे भी मात्र दो भर्तियो मे आवेदन का मौका मिलेगा, उसके बाद नही भले ही आप टेट पास हो जाए ।सरकार के उपर कोर्ट ने कोई बाध्यता नही रखी है, सरकार  5 -5 हजार की दो भर्तिया चाहे एक माह मे ही निकाले चाहे 10 वर्षों मे निकाले ।कोर्ट का निर्णय शिक्षामित्र पर बाध्यकारी है किन्तु  सरकार को पूर्ण स्वतंत्रता देता है ।ऐसी  विषम परिस्तिथि मे सहायक अध्यापक पाने का मात्र एक ही रास्ता है, खुली भर्ती ।जिसमे कोर्ट ने कुछ छूट उम्र व अनुभव के आधार पर राज्य सरकार के हाथ मे दिया है ।
                  they may be also given suitable age relaxation and some weightage for their experiences as may be decided by the concerned authority. till they avail of this opportunity, the state is at liberty to continue them as shiksha mitra terms on which they were working prior to their absorption if the state so decides.
                  उपरोक्त के आधार पर अध्यादेश लाकर सहायक  अध्यापक पद पर बनाये रखना संभव नही है, क्योंकि सरकार तीन तीन अध्यादेश लाकर कानून मे संशोधन करने वाली नही है ।और बिना टेट कोई सहायक अध्यापक Rte act 2009 के पश्चात नही बन सकता है, जिसका उदाहरण उत्तराखंड,उत्तर प्रदेश,  त्रिपुरा राजस्थान हरियाणा, झारखंड आदि प्रदेशो के हाईकोर्ट के निर्णय है ।सुप्रीम कोर्ट ने मात्र एक रास्ता छोड रखा है वो उम्र व अनुभव  का भाराक सहित खुली भर्ती है ।और वर्तमान की सच्चाई यही है ।यदि हम सहायक अध्यापक नही बनना चाहते है तो एक स्थायी पद की मांग करें , जिसकी एक नियमावली हो, सेवा शर्ते हो ।अन्यथा की स्थिति मे सभी मांग औचित्यहीन व नाजायज है,।इसके अतिरिक्त कोई भी व्यवस्था हमे कुछ दिनो के पश्चात सड़को पर लाकर ताली बजाने के लिए विवश करेगी ।
साथियो स्थायी पद के अतिरिक्त कुछ भी स्वीकार न करे पद चाहे जो भी हो, आजीवन शोषित होने की व्यवस्था के शिकार न हो ।संघ को सरकार ध्दारा पुनर्विचार याचिका दायर करवा कर दो भर्तियो का प्रतिबन्ध हटवाना चाहिए, सरकार कोर्ट के समक्ष यह माग कर सकती है कि  172000 शिक्षामित्रो को मात्र दो भर्तियो मे एडजस्ट करना असंभव है, जिसमे माननीय कोर्ट से राहत मिलना तय है ।जो आज टेट पास नही है आवश्यक नही वो कल भी ना हो ।समय बदलेगा सरकारे बदलेगी, व्यवस्था बदलेगी, इसलिए भविष्य की आशाओ को अवरुद्ध न करते हुए ही अपनी लड़ाई आगे बढाये,
वह वक्त भी बदला था,
यह वक्त भी बदलेगा ।
किसी को इस पोस्ट से आघात पहुंचा हो तो क्षमा चाहता हू ।

त्रिभुवन सिंह कानपुर
प्रदेश उपाध्यक्ष,


 सुरेन्द्र कुशवाहा
कुशीनगर जिलाध्यक्ष
Uppsms
🙏🙏🙏🙏








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