रद्द हो सकती है यूपी सहायक अध्यापक भर्ती ; जांच में मिले कापियों में नंबर छेड़छाड़ के सबूत - हाईकोर्ट सख्त

              उत्तर प्रदेश सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा की कॉपियों में नंबर में छेड़छाड़ का मामला सामने आने के बाद हाईकोर्ट सख्त हुआ है। हाईकोर्ट की सख्ती के बाद सरकार ने सभी अभ्यर्थियों की कॉपियों का पुनर्मूल्यांकन कराने का ऐलान किया है। 

                सोमवार को जांच कमेटी अध्यक्ष संजय आर भूसरेड्डी ने सभी कॉपियों की दोबारा मूल्यांकन का फैसला लिया। इस फैलसे से धांधली से चयनित अध्यापकों पर तलवार लटकने लगी है, जबकि चयन से वंचित हजारों अभ्यर्थियों को नियुक्ति का मौका मिलेगा, जिसके बाद माना जा रहा है कि धांधली से चयनित सहायक अध्यापकों की नौकरी जा सकती है। 

कोर्ट में मामला पहुंचते ही खुलने लगी धांधली :

               68500 सहायक अध्यापक भर्ती का मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में पहुंचते ही धांधली की पोल खुलने लगी। इसके बाद सोमवार को सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने सहायक शिक्षक भर्तियों की नियुक्तियां अपने अधीन कर दी। खंडपीठ ने यह आदेश सोनिका देवी की याचिका पर दिया। सोनिका ने अपनी याचिका में उत्तर पुस्तिका बदले जाने का अंदेशा जताया था, जो 31 अगस्त को जांच में सही पाया गया। 

परीक्षा दी नहीं और हो गया चयन:

                   जांच में काफी चौंकाने वाली गड़बड़ी सामने आ रही है। जौनपुर में 16 ऐसे अभ्यर्थी मिले, जिन्होंने परीक्षा ही नहीं दी और उनका चयन हो गया। काउंसिलिंग में जब बीएसए ने अनुपस्थित रहे अभ्यर्थियों को फोन किया तो इसका खुलासा हुआ। इनमें से दो अभ्यर्थी प्रदेश से बाहर नौकरी कर रहे हैं। 

दो और पांच अंक पाने वाले भी बने सहायक अध्यापक: 
  
              परीक्षा में मात्र दो और पांच अंक पाने वाले भी सहायक अध्यापक बन गए। दो अंक पाने वाले गोरखपुर के अरुण कुमार को देवरिया में नियुक्ति मिली है। 5 अंक पाने वाले महाराजगंज के निजाम हुसैन और 19 अंक पाने वाली बाराबंकी की दीपमाला भी सहायक अध्यापक बन गईं। अभ्यर्थी शिखा यादव के उत्तर पुस्तिका में 75 अंक थे. जबकि परिणाम में 22 अंक दिए गए। अभिषेक वर्मा को 67 की जगह 60 अंक दिए गए। एक अभ्यर्थी को 122 की जगह सिर्फ 22 अंक मिले  है। 

जांच के आदेश के बाद जलाई गई कॉपियां:

                     गड़बड़ी की बात सामने आने पर सरकार ने 8 सितम्बर को जांच के आदेश दिए गए। इसके बाद इलाहाबाद स्थित परीक्षा नियामक प्राधिकारी दफ्तर में उत्तर पुस्तिकाएं जला दी गईं। अब पीड़ित अभ्यर्थियों ने परीक्षा नियामक प्राधिकारी दफ्टर का पूरा स्टाफ बदलने की मांग की है। उनका कहना है कि चपरासी, कर्मचारी और अधिकारी वर्षों से गड़बड़ी करते रहे हैं। इसलिए यहां के बड़े अधिकारीयों की भी जांच की जाए।



















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