उच्चर शिक्षा सेवा आयोग के चेयरमैन की नियुक्ति हाईकोर्ट से रद्द ; अब आयोग के सचिव की नियुक्ति में भी पेच फंस गया
उच्चर शिक्षा सेवा आयोग के चेयरमैन की नियुक्ति हाईकोर्ट से रद्द होने के बाद अब आयोग के सचिव की नियुक्ति में भी पेच फंस गया है। आयोग के सचिव डॉ.संजय कुमार सिंह की नियुक्ति को चुनौती दी गई है।
याचिका में आरोप है कि उन्होंने गलत तरीके से एसटी कोटे का लाभ लिया। सचिव की एमए और अन्य डिग्रियां भी फर्जी होने का आरोप है।
डॉ.धीरेंद्र सिंह की याचिका पर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति अरुण टंडन और न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र की खंडपीठ ने आयोग से इस मामले में जवाब दाखिल करने तथा नियुक्ति संबंधी दस्तावेज कोर्ट में पेश करने को कहा है। याचिका पर 30 नवंबर को सुनवाई होगी।
याची का कहना है कि सचिव ने 1997 में नागा जनजाति के तौर पर आरक्षण के लिए दावा किया था, मगर उत्तर प्रदेश में नागा जनजाति सूचीबद्ध नहीं होने के कारण आयोग ने उनको इसका लाभ नहीं दिया। यह मामला सुप्रीमकोर्ट तक गया और सुप्रीमकोर्ट ने भी कहा कि उनको उत्तर प्रदेश में इस जनजाति के तहत लाभ नहीं मिल सकता है।
इसके बावजूद उन्होंने फर्जीवाड़ा कर अनुसूचित जनजाति कोटे के तहत नौकरी प्राप्त की। इतना ही नहीं डॉ.संजय कुमार की एमए की डिग्री फर्जी होने का आरोप है। हाईकोर्ट ने कानपुर विश्वविद्यालय से टेबुलेशन चार्ट और एमए की मार्कशीट से संबंधित दस्तावेज मांगे हैं।
यह भी कहा है कि यदि संजय कुमार के खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज कराई गई हो तो उसे भी अदालत में प्रस्तुत किया जाए।
Kewards ; teachers,higher education,University
याचिका में आरोप है कि उन्होंने गलत तरीके से एसटी कोटे का लाभ लिया। सचिव की एमए और अन्य डिग्रियां भी फर्जी होने का आरोप है।
डॉ.धीरेंद्र सिंह की याचिका पर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति अरुण टंडन और न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र की खंडपीठ ने आयोग से इस मामले में जवाब दाखिल करने तथा नियुक्ति संबंधी दस्तावेज कोर्ट में पेश करने को कहा है। याचिका पर 30 नवंबर को सुनवाई होगी।
याची का कहना है कि सचिव ने 1997 में नागा जनजाति के तौर पर आरक्षण के लिए दावा किया था, मगर उत्तर प्रदेश में नागा जनजाति सूचीबद्ध नहीं होने के कारण आयोग ने उनको इसका लाभ नहीं दिया। यह मामला सुप्रीमकोर्ट तक गया और सुप्रीमकोर्ट ने भी कहा कि उनको उत्तर प्रदेश में इस जनजाति के तहत लाभ नहीं मिल सकता है।
इसके बावजूद उन्होंने फर्जीवाड़ा कर अनुसूचित जनजाति कोटे के तहत नौकरी प्राप्त की। इतना ही नहीं डॉ.संजय कुमार की एमए की डिग्री फर्जी होने का आरोप है। हाईकोर्ट ने कानपुर विश्वविद्यालय से टेबुलेशन चार्ट और एमए की मार्कशीट से संबंधित दस्तावेज मांगे हैं।
यह भी कहा है कि यदि संजय कुमार के खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज कराई गई हो तो उसे भी अदालत में प्रस्तुत किया जाए।
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