बैकलॉग पदों पर पदोन्नत शिक्षक होंगे रिवर्ट ; विशेषज्ञों ने दी राय-बैकलॉग पदों पर हो सकती हैं सिर्फ नई भर्तियां
बेसिक शिक्षा विभाग में बैकलॉग के तहत पदोन्नति पाने वाले शिक्षकों को कोई राहत नही मिल पाएगी। सुप्रीम कोर्ट का आदेश उन पर भी लागू होगा। विशेषज्ञों की राय लेने के बाद विभाग ने यह फैसला किया।
इसका मतलब है कि सभी 50 हजार शिक्षक डिमोट होंगे। पंचायत चुनाव के बाद पदावनति की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत 15 नवंबर 1997 से 28 अप्रैल 2012 के बीच आरक्षण का लाभ लेकर पदोन्नत हुए शिक्षकों और कर्मचारियों को पदावनत किया जाना है।
इस कार्रवाई में तेजी लाने के लिए हाल ही में बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा ने सभी मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक) को पत्र भी भेजा है।
इस बारे में भनक लगते ही अनुसूचित जाति और जनजाति के शिक्षकों ने विरोध शुरू कर दिया। उनका कहना है कि उन्हें पदोन्नति ‘बैकलॉग पदोन्नति’ की व्यवस्था के तहत मिली है, न कि आरक्षण के कारण।
इसलिए सुप्रीम कोर्ट का आदेश उन पर लागू नहीं होता। उनके समकक्ष सभी सामान्य वर्ग के शिक्षक भी पदोन्नति पा चुके हैं। ऐसे में उन्हें पदावनत करने का कोई तुक नहीं बनता।
इस मुद्दे को लेकर आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति की अगुवाई में शिक्षक बेसिक शिक्षा निदेशक से भी मिले थे।
सूत्रों के मुताबिक, इसके बाद बेसिक शिक्षा निदेशालय ने विशेषज्ञों की राय ली। उनका कहना है कि बैकलॉग सिर्फ ‘फ्रेश’ भर्ती के लिए होता है। यानी, पहली भर्ती में ही इस सुविधा का लाभ लिया जा सकता है। अगर किसी भी विभाग में आरक्षित वर्ग के लिए उच्च पद हैं तो उन्हें सीधी भर्ती से ही भरा जाएगा।
प्रमोट करके कर्मचारी, अधिकारी या शिक्षक को उस पद पर पहुंचाने का मतलब है कि उन्हें पदोन्नति में आरक्षण का लाभ दिया गया।
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि भले ही सामान्य वर्ग के समकक्ष शिक्षकों को भी पदोन्नति मिल गई हो, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का आदेश पदोन्नति पाने वाले सभी दलित शिक्षकों पर लागू होगा।
अगर बाद में यह पाया जाता कि वरिष्ठता में उनके समकक्ष सभी सामान्य वर्ग के शिक्षक पदोन्नत किए जा चुके हैं, तब पदावनत हुए दलित शिक्षकों को भी लाभ मिल सकता है। इस बारे में संपर्क करने पर बेसिक शिक्षा निदेशक दिनेश बाबू शर्मा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पूरी तरह से पालन किया जाएगा।
Kewards ; teachers,demotion,basic education,upgovt
इसका मतलब है कि सभी 50 हजार शिक्षक डिमोट होंगे। पंचायत चुनाव के बाद पदावनति की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत 15 नवंबर 1997 से 28 अप्रैल 2012 के बीच आरक्षण का लाभ लेकर पदोन्नत हुए शिक्षकों और कर्मचारियों को पदावनत किया जाना है।
इस कार्रवाई में तेजी लाने के लिए हाल ही में बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा ने सभी मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक) को पत्र भी भेजा है।
इस बारे में भनक लगते ही अनुसूचित जाति और जनजाति के शिक्षकों ने विरोध शुरू कर दिया। उनका कहना है कि उन्हें पदोन्नति ‘बैकलॉग पदोन्नति’ की व्यवस्था के तहत मिली है, न कि आरक्षण के कारण।
इसलिए सुप्रीम कोर्ट का आदेश उन पर लागू नहीं होता। उनके समकक्ष सभी सामान्य वर्ग के शिक्षक भी पदोन्नति पा चुके हैं। ऐसे में उन्हें पदावनत करने का कोई तुक नहीं बनता।
इस मुद्दे को लेकर आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति की अगुवाई में शिक्षक बेसिक शिक्षा निदेशक से भी मिले थे।
सूत्रों के मुताबिक, इसके बाद बेसिक शिक्षा निदेशालय ने विशेषज्ञों की राय ली। उनका कहना है कि बैकलॉग सिर्फ ‘फ्रेश’ भर्ती के लिए होता है। यानी, पहली भर्ती में ही इस सुविधा का लाभ लिया जा सकता है। अगर किसी भी विभाग में आरक्षित वर्ग के लिए उच्च पद हैं तो उन्हें सीधी भर्ती से ही भरा जाएगा।
प्रमोट करके कर्मचारी, अधिकारी या शिक्षक को उस पद पर पहुंचाने का मतलब है कि उन्हें पदोन्नति में आरक्षण का लाभ दिया गया।
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि भले ही सामान्य वर्ग के समकक्ष शिक्षकों को भी पदोन्नति मिल गई हो, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का आदेश पदोन्नति पाने वाले सभी दलित शिक्षकों पर लागू होगा।
अगर बाद में यह पाया जाता कि वरिष्ठता में उनके समकक्ष सभी सामान्य वर्ग के शिक्षक पदोन्नत किए जा चुके हैं, तब पदावनत हुए दलित शिक्षकों को भी लाभ मिल सकता है। इस बारे में संपर्क करने पर बेसिक शिक्षा निदेशक दिनेश बाबू शर्मा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पूरी तरह से पालन किया जाएगा।
Kewards ; teachers,demotion,basic education,upgovt
Comments
Post a Comment