नए ठिकानों पर नए अंदाज में दलील ; युवाओं ने सूबे के मुखिया एवं बड़े अफसरों की ओर किया रुख, नवंबर में यूपीटीईटी 2011 की वैधता खत्म

             शिक्षक बनने की आस संजोए युवाओं का विश्वास अब डगमगाने लगा है। इसकी वजह शिक्षा विभाग के अफसर लगातार उनकी अनसुनी कर रहे हैं, यहां तक कि न्यायालय के निर्देश पर नियुक्ति नहीं दी जा रही है।
              ऐसे में युवाओं ने सूबे के मुखिया एवं बड़े अफसरों की ओर रुख किया है। नए ठिकानों पर युवा नए अंदाज में दलील दे रहे हैं। खास बात यह है कि ‘ऊपर’ से निर्देश होने पर विभागीय अफसर चौकन्ने भी हुए हैं।
            बेसिक शिक्षा परिषद के प्रदेश भर के अधिकांश स्कूलों में पद रिक्त हैं। इसका असर पठन-पाठन पर पड़ रहा है, जबकि बड़ी संख्या में शिक्षक बनने की अर्हता रखने वाले युवा नियुक्ति के लिए भटक रहे हैं। प्राथमिक विद्यालयों में 15 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू हुए सवा साल बीत रहा है अब तक काउंसिलिंग पूरी नहीं हो सकी है।
           वहीं 72825 शिक्षकों की भर्ती में जिलों के कटऑफ से अधिक अंक पाने वाले 12091 अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट का आदेश लेकर दो महीने से शिक्षा निदेशालय में आंदोलन कर रहे हैं। ऐसे ही 1100 याचियों की भर्ती पूरी होने का अभी इंतजार है। आंदोलन व प्रदर्शन से भी जब अफसर नहीं डिगे तो युवाओं ने अब बड़े अफसर व हुक्मरानों तक पहुंच बनाई है।
             युवाओं ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री दफ्तर में दस्तक देकर कहा कि योग्यता होने के बावजूद उन्हें शिक्षक के रूप में नियुक्ति नहीं मिल रही है। यह भी कहा गया कि अधिकांश युवाओं ने शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) 2011 उत्तीर्ण किया है उस अंकपत्र की वैधता 13 नवंबर 2016 तक है।
            ज्ञात हो कि टीईटी अंकपत्र की वैधता जारी तारीख से पांच वर्ष के लिए होती है। यदि इस अवधि तक नियुक्ति न मिली तो उन्हें फिर से इम्तिहान देने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।



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