अब यूपी में पदोन्नतियों में श्रेष्ठतम अधिकारियों को ही होगी पदोन्नति, 100 में न्यूनतम 80 नंबर पाने वाले अधिकारी ही पदोन्नति के लिए उपयुक्त
प्रदेश सरकार ने पदोन्नतियों में श्रेष्ठतम अधिकारियों को ही पदोन्नति देने की व्यवस्था को अधिक पारदर्शी व स्पष्ट बना दिया है।
अब 10 वर्ष की पिछली सेवा में 100 में न्यूनतम 80 नंबर पाने वाले अधिकारी ही पदोन्नति के लिए उपयुक्त माने जाएंगे।
डीपीसी में पक्षपात जैसे आरोप नहीं लगाए जा सकेंगे। मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।
अब 10 वर्ष की पिछली सेवा में 100 में न्यूनतम 80 नंबर पाने वाले अधिकारी ही पदोन्नति के लिए उपयुक्त माने जाएंगे।
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80 से कम नंबर पाने वाले अनुपयुक्त होंगे और पदोन्नति प्रक्रिया से बाहर हो जाएंगे। इसके अलावा बृहद दंड पाने वाले कर्मी पांच वर्ष तक और लघु दंड पाने वाले दो वर्ष तक पदोन्नति से वंचित रहेंगे।खास बातें
शासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मेरिट आधारित चयन के दायरे में आने वाले अधिकारियों (विभागाध्यक्ष/ निदेशक, अपर निदेशक) की पदोन्नति के समय उनके पिछले 10 वर्ष के सेवाकाल में प्राप्त प्रविष्टियों के आधार पर मूल्यांकन किया जाता रहा है।
अभी तक प्रविष्टियों के आधार पर पदोन्नति के लिए फॉर्मूला (बेंच मार्क) तय करने का अधिकार विभागीय पदोन्नति समितियों (डीपीसी) के पास होता था।
अभी तक प्रविष्टियों के आधार पर पदोन्नति के लिए फॉर्मूला (बेंच मार्क) तय करने का अधिकार विभागीय पदोन्नति समितियों (डीपीसी) के पास होता था।
समय-समय पर डीपीसी ने 30 नंबर के पूर्णांक में कभी 18 नंबर तक पाने वाले को पदोन्नति देने का पैमाना तय किया तो कभी 25 व 21 नंबर तय किया।
बृहद व लघु दंड पाए कर्मी की पदोन्नति के मामले में भी डीपीसी का मूड अहम होता था।
बृहद व लघु दंड पाए कर्मी की पदोन्नति के मामले में भी डीपीसी का मूड अहम होता था।
समय-समय पर इन विसंगतियों का मामला न्यायालयों में गया और न्यायालय ने सरकार से बेंचमार्क स्पष्ट करने का निर्देश दिया था।
प्रदेश सरकार ने कोर्ट के आदेश पर अमल करते हुए सेवा में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों को प्रोत्साहित करने के लिए पदोन्नति का सामान्य फॉर्मूला शासन स्तर से ही तय कर दिया है।
प्रदेश सरकार ने कोर्ट के आदेश पर अमल करते हुए सेवा में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों को प्रोत्साहित करने के लिए पदोन्नति का सामान्य फॉर्मूला शासन स्तर से ही तय कर दिया है।
विभागीय पदोन्नति समितियों को अब इसी आधार पर कर्मी की पदोन्नति पर विचार करना होगा।
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डीपीसी में पक्षपात जैसे आरोप नहीं लगाए जा सकेंगे। मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।
उन्होंने कहा है कि प्रतिकूल प्रविष्टियों की सूचना देते हुए प्राप्त प्रत्यावेदनों का निस्तारण करने के बाद ही डीपीसी की बैठक की जाएगी।
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