UP 6900 टीचर्स भर्ती मामला: शिक्षामित्रों के मामले में SC का राज्य सरकार को नोटिस, 14 जुलाई तक जवाब मांगा सभी पक्षों से जवाब

उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को खारिज कर दिया था।  इसके बाद दो जजों ने आदेश में संशोधन की इच्छा जताई और मामले को ओपन कोर्ट में सुनवाई का आदेश दिया गया।

  इसका याचिकाकर्ताओं ने विरोध किया।  इसके बाद मामले की सुनवाई हुई और कोर्ट ने सभी पक्षों से जवाब मांगा है।  मामले की अगली सुनवाई 14 जुलाई को होगी।

 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार 6 जुलाई से पहले अपना पक्ष भेजे।

  सरकार ने बताया कि 45 फीसद सामान्य और आरक्षित के लिए 40 प्रति के आधार को क्यों बदला गया।

  6 जुलाई तक कोर्ट चार्ट के माध्यम से भर्ती के सभी चरण और डिटेल टेलर।  तब तक शिक्षा मित्र, जो सहायक शिक्षक के तौर पर कार्यरत हैं, उन्हें छेड़ा न हो।

 क्या मामला है:

 दरअसल, इस मामले में एक याचिकाकर्ता की ओर से सबसे पहले वरिष्ठ मुकुल रोहतगी ने दलील रखी।  उनकी दलील को सुनने के बाद कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था।  फिर, कोर्ट ने दुष्यंत दवे और अर्यमा सुंदरम की दलील पर याचिका को खारिज के आदेश में मोडिफाई करने की मंशा जताई।

 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में इतने पक्षकार हैं कि उन सबको वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनना मुश्किल है।

  लिहाजा सभी मामलों की सुनवाई तब तक लंबित रहेगी।  मामले की सुनवाई ओपन कोर्ट में होगी।  तब तक कोई अंतरिम आदेश जारी नहीं किया जाएगा।  दुष्यंत दवे ने ओपन कोर्ट में मुकदमे होने तक मामले को टालने का विरोध किया।


याचिकाकर्ताओं के विरोध के बाद आज ही मुकदमा चला:
 याचिकाकर्ताओं के विरोध के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आज केवल मामले की सुनवाई की।  कोर्ट ने दुष्यंत दवे से पूछा कि जब अच्छी योग्यता वाले शिक्षक मिल रहे हैं तो फिर बार लोअर करने का क्या मतलब और तुक है?
 इस पर शिक्षा मित्रों की ओर से पीएस पटवालिया ने कहा कि जहां तक ​​योग्यता की बात है तो इसमें भी काफी लोचा है। 
 योग्यता का आधार 10 वीं, 12 वीं, स्नातक और बीकॉम / बीएड के कुल नंबरों के 10-10 प्रतिशत औसत योग से होता है।

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सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने पूछे जाने वाले प्रश्न:
 शिक्षामित्रों की दलील सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि मेरिट के नाम पर भारांक और अन्य नियम क्यों बदल गए?  
इस पर तुषार मेहता ने कहा कि वह कल इस बारे में सरकार से दिशा-निर्देश के बारे में बताएंगे। 
 इस पर कोर्ट कि हम फिर से सभी याचिकाओं पर नोटिस जारी कर रहे हैं।

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 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम ये भी देखते हैं कि नियुक्ति प्रक्रिया के नियम की परीक्षा से पहले या बाद में कितना सही गलत है।  इस पर वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि रिजल्ट रिकलकुलेट और रिकैम्प्यूटेड हो 40-45% के आधार पर। 
 प्रथम परीक्षा किसी और आधार पर और दूसरी किसी और आधार पर क्यों?  इस पर तुषार मेहता ने कहा कि ये लोग विरोधी नेताओं पर कम प्रतिभा वाले का कब्जा चाहते हैं।

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 क्या था मुकुल रोहतगी की दलील:
 सबसे पहले शिक्षामित्रों की ओर दलील रखते हुए मुकुल रोहतगी ने कहा कि सिंघल जजनेट ने हमारे दावे के समर्थन में निर्णय दिया था, लेकिन डिविजन ने हमारा पक्ष पूरी तरह से नहीं सुना।
  वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि मसला हमारे कॉन्ट्रैक्ट के रिन्यूअल को लेकर भी है और नियुक्ति की प्रक्रिया में लगातार किए गए बदलावों पर भी।
इस पर जस्टिस ललित ने पूछा था कि शिक्षामित्र नियुक्त कैसे हुए थे?  
जवाब में मुकुल रोहतगी ने कहा कि 30 हजार, फिर सरकार ने शिक्षामित्रों की बजाय 69000 प्राथमिक शिक्षकों की नई भर्ती निकाली।
  मुकुल रोहतगी की सब दलील सुनने के बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था।

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