तरल पानी की मौजूदगी से मंगल पर जीवन की संभावना बढ़ी ; नासा ने सोमवार को किया नया खुलासा
हमारी धरती के बाद अब मंगल ग्रह पर भी जीवन की उम्मीद बढ़ गई है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने सोमवार को नया खुलासा किया है कि लाल ग्रह पर तरल रूप में बहते हुए पानी के पर्याप्त भंडार हैं। यह पानी नमकीन रूप में है।
नासा की ओर से लाल ग्रह पर पानी के निशान खोजने में सबसे बड़ी भूमिका नेपाल के युवा अंतरिक्ष विज्ञानी लुजेंद्र ओझा की रही। ओझा ही ऐसे पहले शख्स रहे जिन्होंने ठोस आधार पर अपनी खोज से नासा को यह भरोसा दिलाया कि मंगलग्रह पर पानी के निशान हो सकते हैं।
इसी के बाद सोमवार को नासा ने अपने बयान में मंगल ग्रह का रहस्य सुलझाने का दावा किया। ओझा वर्तमान में अटलांटा स्थित जॉर्जिया इंस्टीट्यूट आफ टेक्नालाजी से पीएचडी कर रहे हैं।
चार साल पहले उन्होंने हाई रेज्योल्यूशन इमैजिंग साइंस एक्सपेरिमेंटल कैमरे से अध्ययन के आधार उन्होंने पानी के निशान होने की बात कही थी। ओझा की उम्र उस वक्त महज 21 साल थी और उन्होंने अपना स्नातक भी पूरा नहीं किया था। बाद में नासा ने उन्हें खोज अभियान में शामिल भी कर लिया।
अटलांटा में जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी में वैज्ञानिक और शोध के सह लेखक व नेपाली वैज्ञानिक लुजेंद्र ओझा कहते हैं कि हमारा शोध भविष्य में इस दिशा में आगे बढ़ने में सहायक होगा।
मंगल पर पानी होने का खुलासा नासा की एक प्रेस कांफ्रेंस में किया गया, जिसमें लुजेंद्र ओझा भी एक वक्ता थे। साइंस जर्नल 'नेचर जियोसाइंस' में नासा के वैज्ञानिकों की स्टडी प्रकाशित हुई है।
ओझा म्यूजिक बैंग 'गोरखा' के लीड गिटारिस्ट हैं। उनके माता पिता 2005 में अमेरिका आए थे, उस समय ओझा की उम्र महज 15 साल थी। वह संगीत के दीवाने हैं, कॉमिक बुक्स और मशहूर वैज्ञानिक स्टिफेन हॉकिंग की 'ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम' की किताब पढ़कर उन्हें विज्ञान पढ़ने की जिज्ञासा जगी थी।
तरल पानी की मौजूदगी से मंगल पर जीवन की संभावना बढ़ गई है। पानी की मौजूदगी से नासा के 2030 में अगले मानव मिशन को भेजा जाना आसान हो जाएगा। सबसे अहम बात यह है कि विरल हवा वाले मंगल ग्रह पर पाए गए ये नमक पानी के जमने और भाप बनने के तापमान को भी बदल सकते हैं, जिससे पानी ज्यादा समय तक सतह पर बह सकता है।
इससे पहले शोधकर्ता अब तक यह कयास लगाते रहे हैं कि क्या अब भी मंगल की सतह पर पानी बहता होगा। वैज्ञानिकों का अनुमान था कि मंगल पर जमी हुई बर्फ के रूप में पानी है।
इसी साल नासा के यान क्यूरियोसिटी ने भी मंगल की सतह पर पानी होने के ठोस सबूत दिए थे। यह शोध जर्नल नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित हुआ है।
Kewards ; Nasa,America,Ojha,scientists,research
नासा की ओर से लाल ग्रह पर पानी के निशान खोजने में सबसे बड़ी भूमिका नेपाल के युवा अंतरिक्ष विज्ञानी लुजेंद्र ओझा की रही। ओझा ही ऐसे पहले शख्स रहे जिन्होंने ठोस आधार पर अपनी खोज से नासा को यह भरोसा दिलाया कि मंगलग्रह पर पानी के निशान हो सकते हैं।
इसी के बाद सोमवार को नासा ने अपने बयान में मंगल ग्रह का रहस्य सुलझाने का दावा किया। ओझा वर्तमान में अटलांटा स्थित जॉर्जिया इंस्टीट्यूट आफ टेक्नालाजी से पीएचडी कर रहे हैं।
चार साल पहले उन्होंने हाई रेज्योल्यूशन इमैजिंग साइंस एक्सपेरिमेंटल कैमरे से अध्ययन के आधार उन्होंने पानी के निशान होने की बात कही थी। ओझा की उम्र उस वक्त महज 21 साल थी और उन्होंने अपना स्नातक भी पूरा नहीं किया था। बाद में नासा ने उन्हें खोज अभियान में शामिल भी कर लिया।
अटलांटा में जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी में वैज्ञानिक और शोध के सह लेखक व नेपाली वैज्ञानिक लुजेंद्र ओझा कहते हैं कि हमारा शोध भविष्य में इस दिशा में आगे बढ़ने में सहायक होगा।
मंगल पर पानी होने का खुलासा नासा की एक प्रेस कांफ्रेंस में किया गया, जिसमें लुजेंद्र ओझा भी एक वक्ता थे। साइंस जर्नल 'नेचर जियोसाइंस' में नासा के वैज्ञानिकों की स्टडी प्रकाशित हुई है।
ओझा म्यूजिक बैंग 'गोरखा' के लीड गिटारिस्ट हैं। उनके माता पिता 2005 में अमेरिका आए थे, उस समय ओझा की उम्र महज 15 साल थी। वह संगीत के दीवाने हैं, कॉमिक बुक्स और मशहूर वैज्ञानिक स्टिफेन हॉकिंग की 'ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम' की किताब पढ़कर उन्हें विज्ञान पढ़ने की जिज्ञासा जगी थी।
तरल पानी की मौजूदगी से मंगल पर जीवन की संभावना बढ़ गई है। पानी की मौजूदगी से नासा के 2030 में अगले मानव मिशन को भेजा जाना आसान हो जाएगा। सबसे अहम बात यह है कि विरल हवा वाले मंगल ग्रह पर पाए गए ये नमक पानी के जमने और भाप बनने के तापमान को भी बदल सकते हैं, जिससे पानी ज्यादा समय तक सतह पर बह सकता है।
इससे पहले शोधकर्ता अब तक यह कयास लगाते रहे हैं कि क्या अब भी मंगल की सतह पर पानी बहता होगा। वैज्ञानिकों का अनुमान था कि मंगल पर जमी हुई बर्फ के रूप में पानी है।
इसी साल नासा के यान क्यूरियोसिटी ने भी मंगल की सतह पर पानी होने के ठोस सबूत दिए थे। यह शोध जर्नल नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित हुआ है।
Kewards ; Nasa,America,Ojha,scientists,research
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