बिना नेट के पीएचडी और एफफिल करने वाले छात्रों के लिए फैलोशिप बंद करने का फैसला ; अलग अखिल भारतीय परीक्षा का विकल्प

                  बिना (राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा) नेट वाले छात्रों को फैलोशिप की राशि बंद करने पर मचे हंगामे के बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने अब एक अलग अखिल भारतीय परीक्षा का विकल्प दिया है।
                 शुक्रवार को हंगामे के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस मामले में हस्तक्षेप किया और विस्तृत रिपोर्ट तलब की। जिस पर यूजीसी की तरफ से कहा गया है कि अगर बिना नेट वाले छात्रों के लिए फैलोशिप फिर से शुरू की जाती है तो छात्रों का चयन राष्ट्रीय स्तर पर परीक्षा आयोजित करके किया जाएगा। बिना नेट या परीक्षा के फैलोशिप नहीं दी जा सकती।
                  यूजीसी ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों में बिना नेट के पीएचडी और एफफिल करने वाले छात्रों के लिए फैलोशिप बंद करने का फैसला किया है। अभी तक ऐसे छात्रों को पीएचडी के लिए आठ हजार और एमफिल के लिए पांच हजार रुपये प्रतिमाह की फैलोशिप दी जाती थी।
                  लेकिन अब यूजीसी ने शर्त रखी है कि इन फैलोशिप के लिए नेट पास करना जरूरी है। इसलिए बिना नेट वाले नए छात्रों के लिए मुश्किल हो गई है। इसके पीछे मकसद यह है कि योग्य उम्मीदवारों को फैलोशिप मिले।
                   पीएमओ के हस्तक्षेप के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने यूजीसी से इस बारे में ब्यौरा तलब किया और एक विस्तृत नोट पीएमओ को भेजा है। जिसमें कहा गया है कि मौजूदा स्वरूप में यह फैलोशिप जारी रखी नहीं जा सकती। क्योंकि यूजीसी की सभी रिसर्च फैलोशिप के लिए पहले ही नेट अनिवार्य हो चुका है।
                     जेआरएफ में भी नेट जरूरी है। इसलिए दूसरा विकल्प यह दिया गया है कि बिना नेट वाले छात्रों के लिए अलग से एक अखिल भारतीय परीक्षा आयोजित हो और उसे पास करने के बाद ही छात्रों को फैलोशिप दी जाए। इस प्रकार एक न्यूनतम गुणवत्ता बनी रहेगी। इसमें केंद्रीय विवि के साथ राज्य विश्वविद्यालयों को जोड़ा जाए। तब छात्रों के समक्ष विकल्प होगा कि या तो वे नेट परीक्षा पास करें या फिर यह नई परीक्षा।
                    यूजीसी ने यह भी कहा कि वह इस मुद्दे पर विशेषज्ञों की एक समिति गठित कर रहा है ताकि वे इस परीक्षा का खाका तैयार कर सकें।
बिना नेट फैलोशिप पर यूजीसी का तर्क
                     उम्मीदवारों का चयन विवि करते हैं और यूजीसी सिर्फ पैंसा देता है। इसलिए योजना को डीबीटी में लाना भी मुश्किल हो रहा है। जिन लोगों को फैलोशिप दी जा रही है, उनकी गुणवत्ता का आकलन का कोई तरीका नहीं है।
                     रिसर्च के लिए नेट सभी कार्यक्रमों में अनिवार्य हो चुका है। इसलिए इसमें भी करना होगा। वर्ष 2014-15 के दौरान इस फैलोशिप पर 99.16 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।

Kewards ; UGC,NET,Research,Fellowship,PhD

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