शिक्षामित्र समायोजन का एक प्रमुख संरक्षक और सुरक्षा कवच ; संविधान का अनुच्छेद 21

संविधान का अनुच्छेद 21 शिक्षामित्र समायोजन का एक प्रमुख संरक्षक और सुरक्षा कवच है।
        संविधान के अनुच्छेद 21 को आधार बना कर शिक्षामित्र समायोजन केस में कुछ बीएड और बीटीसी बेरोजगार लगातार लेख लिख कर बिन सर पैर की उड़ाते रहते हैं।
         अभी 27 जुलाई को भी शिक्षामित्रों और बीटीसी बीएड धारकों के नेताओं द्वारा माननीय न्यायधीश महोदय द्वारा अनुच्छेद 21 व 21क पर टिप्पणी किये जाने को लेकर एक भयाक्रान्त वातावरण बनाने की कोशिश की गई।
           जबकि ये शिक्षामित्रों के समायोजन और नौकरी को सुरक्षित रखे जाने का एक प्रमुख आधार स्तम्भ है। बल्कि शिक्षामित्रों का समायोजन बनाये रखने में अनुच्छेद 21 और 21क ही एक अभेद्य सुरक्षा कवच है। "मिशन सुप्रीम कोर्ट" के वर्किंग ग्रुप के रबी बहार, केसी सोनकर और साथी* इस पर अपने वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ कॉलिन गोन्साल्विस से विस्तृत चर्चा कर चुके हैं।
आइये आप को भी बताते हैं:-          आजीविका का अधिकार जीने के अधिकार में शामिल है, क्योंकि कोई भी व्यक्ति आजीविका के साधनों के बिना जी नहीं सकता। यदि आजीविका के अधिकार को संविधान प्रदत्त जीने के अधिकार में शामिल नहीं माना जाएगा तो किसी भी व्यक्ति को उसके जीने के अधिकार से वंचित करने का सबसे सरल तरीका है, उसके आजीविका के साधनों से उसे वंचित कर देना।
          ऐसी वंचना न केवल जीवन को निरर्थक बना देती है अपितु जीवन जीना ही असंभव बना देती है। किसी व्यक्ति को उसके आजीविका के अधिकार से वंचित करने का मतलब है, उसे जीवन से वंचित कर देना।
          मार्च 2015 में उत्तरप्रदेश राज्य बनाम चरणसिंह के मामले में फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति वी. गोपाला गौडा ने कहा कि भारतीय संविधान की धारा 19 और 21 में दी गई आजादी रोजी रोटी की सुनिश्चितता की अवधारणाओं का प्रबंधकों द्वारा उल्लंघन किया गया है। उसके परिवार के सदस्य पीड़ित हैं, क्योंकि उनकी रोजी रोटी प्रबंधकों के मनमाने रवैए के कारण छीन ली गई है। 
            ओल्गा टेलिस व अन्य बनाम मुंबई म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय को उद्‌धृत करते हुए न्यायालय ने प्रबंधकों को लताड़ लगाई, ‘... क्या जीने के अधिकार में आजीविका का अधिकार शामिल है। हमें इसका एक ही उत्तर दिखता है कि यह शामिल है।
संविधान के अनुच्छेद 21 का दायरा बेहद व्यापक है।           इसी तरह एक अन्य मामले में तथ्य इस प्रकार थे- श्रमिक चरण सिंह 6 मार्च 1974 को ट्यूबवेल ऑपरेटर के पद पर बतौर अस्थायी कर्मचारी उप्र के मत्स्य विभाग में भर्ती किया गया था। 22 अगस्त 1975 को उसे यह कहते हुए सेवा से मुक्त कर दिया कि चूंकि वह अस्थायी तौर पर भर्ती किया गया था, इसलिए उसे नौकरी पर रखने की आवश्यकता नहीं है। इस कार्रवाई के खिलाफ श्रमिक ने श्रम कार्यालय में कार्यवाही प्रारंभ की। मामला श्रमिक अदालत में भेजा गया।
            श्रमिक अदालत ने फैसले में मत्स्य विभाग को उक्त श्रमिक को समकक्ष पद पर पुरर्स्थापित करने का आदेश दिया, जो 24 फरवरी 97 से प्रभावी होने का निर्देश दिया। परंतु बेकारी के दिनों का कोई वेतन नहीं दिया।
        श्रमिक को मछुआरा का पद देते हुए कहा कि यह ट्यूबवेल ऑपरेटर के समकक्ष है। परंतु श्रमिक इस पद पर काम करने नहीं आया। विभाग ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका लगाई कि 24 फरवरी से 31 जनवरी 2005 तक श्रमिक को कोई वेतन नहीं दिया जाएगा। 
          इस पर उच्च न्यायालय ने विभाग के प्रबंधकों को फटकार लगाई कि श्रमिक के इतने साल प्रबंधकों ने बर्बाद कर दिए। उसे इस अवधि का वेतन दिया जाए। विभाग ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने भी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को सही ठहराया। उसे 22 अगस्त 1975 से फैसले की तिथि तक 50 फीसदी बकाया वेतन देने का निर्देश दिया। साथ ही 24 फरवरी 1997 से 31 जनवरी 2005 तक हाईकोर्ट द्वारा पूर्ण बकाया वेतन को सही ठहराते हुए संशोधित वेतनमान के आधार पर श्रमिक को चार हफ्ते में भुगतान करने का आदेश दिया।
ये तो मात्र कुछ उदाहरण हैं हमारे वकील द्वारा अनुच्छेद 21 और 21क पर विस्तृत और अकाट्य साक्ष्यों के साथ तैयारी की गई है। 
             हम एक बार फिर आप सब को जीत के प्रति आश्वस्त करते हैं। किसी बीएड बीटीसी बेरोज़गार और बड़े बड़े वकीलों के पैनलों के बहकावे में न आये।

©मिशन सुप्रीम कोर्ट। 


Keywords : teachers,tet,shikshamitra,samayojan,upgovt

Comments

Popular posts from this blog

105 पदों पर ब्लॉक मैनेजर, डिस्ट्रिक्ट मैनेजर, प्रोजेक्ट मैनेजर, सीनियर प्रोजेक्ट मैनेजर की भर्ती

परिषदीय शिक्षकों को पदावनत करने की तैयारी ; जद में आने वाले शिक्षकों को किया जा रहा सूचीबद्ध

बिना कोचिंग रेलवे भर्ती परीक्षा कैसे पास करें ?

NTA JEE Main Answer Key 2020: जेईई मुख्य परीक्षा की आंसर-की हुई जारी, यहां देखें

UPSC CDS परीक्षा ; परीक्षा के प्रवेश पत्र जारी, यहाँ कर सकते हैं डाउनलोड

94 असिस्टेंट प्रोफेसर पदों के लिए भर्तियां, करें आवेदन 31 जनवरी 2020 तक

ONGC में HR एग्जीक्यूटिव और PRO पदों की वेकेंसी के लिए भर्तियाँ, करें आवेदन 16 अप्रैल 2020 तक

जूनियर सचिवालय सहायक पदों के भर्तियाँ, 06 जनवरी 2020 तक करें आवेदन

सी-डैक, नोएडा में 143 प्रोजेक्ट मैनेजर एवं प्रोजेक्ट इंजीनियर पदों के लिए भर्तियाँ, चयन वॉक-इन इंटरव्यू से

CSIR NET Result दिसंबर 2019: रिजल्ट आज हो सकता है घोषित, ऐसे करें चेक